Savitribai Phule in Hindi:सावित्रीबाई फुले 18वीं शताब्दी में देश की पहली महिला शिक्षक समाज सेविका और कवित्री रह चुकी हैं। उन्होंने ऐसे समय में उम्मीद की किरण जगाई थी। जब शायद लड़कियों को सम्मान मिलना तो दूर उनका घर से बाहर निकलना भी मुश्किल था। ऐसे समय उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर कई क्रांतिकारी काम किये है।आईए जानते हैं सावित्रीबाई फुले के संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में।
सावित्रीबाई फुले का जन्म, प्रारंभिक जीवन और परिवार
सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र की सतारा जिले में नया गांव में एक दलित परिवार में 3 जनवरी 1831 को हुआ था इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था।तीन भाई बहनों में सावित्रीबाई फुले सबसे छोटी थी
सावित्रीबाई फुले शिक्षा और विवाह
Savitribai Phule in Hindi:सावित्रीबाई फुले की प्रारंभिक शिक्षा नहीं हो पाई थी, क्योंकिउनका विवाह महज 9 साल की उम्र में 1940 में ज्योतिबा फुले के साथ हो गया था,लेकिन पढ़ाने में उनकी लगन देखकर ज्योति राव फुले प्रभावित हुए और उन्होंने सावित्रीबाई को आगे पढ़ना का मन बनाया।
ज्योतिबा फुले भी उस समय कक्षा तीन के छात्र थे। लेकिन तमाम सामाजिक बुराइयों की प्रवाह किए बिना उन्होंने सावित्रीबाई की पढ़ाई पूरी करने में मदद की। सावित्रीबाई ने अहमदनगर और पुणे में टीचर की ट्रेनिंग ली और शिक्षक बनी। सावित्रीबाई फुले बाल विवाह का विरोध तो नहीं कर पाई लेकिन अपने क्रांतिकारी पति ज्योति राव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए कई कदम उठाए।
Savitribai Phule in Hindi:शिक्षा में योगदान
Savitribai Phule in Hindi: 3 जनवरी 1848 में सावित्रीबाई फुले ने पुणे में अपने पति के साथ मिलकर भिन्न जातियों की 9 छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए पहले स्कूल की स्थापना की और 1 वर्ष के भीतर सावित्रीबाई तथा महात्मा जी पांच नए विद्यालय खोलने में सफल हुए इसके लिए सरकार ने इन्हें सम्मानित भी किया।
1851के अंत तक सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले तीन अलग-अलग महिला स्कूलों के प्रभारी रहे थे। जिनमें लगभग 150 छात्र नामांकित थे। इन स्कूलों में सरकारी स्कूलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग शिक्षण पद्धतियों का इस्तेमाल किया जाता था।
इस प्रतिष्ठा के कारण पब्लिक स्कूल में नामांकित लड़कों की संख्या की तुलना में लड़कियों ने अधिक भाग लिया।
शिक्षण कार्य में लोगों ने की उपेक्षा
लड़कियों को पढ़ाने की पहल पर सावित्रीबाई फुले को पुणे की महिलाओं का जबरदस्त विरोध भी झेलना पड़ा था। जब स्कूल पढ़ने जाती थी। तो पुणे की महिलाएं उन पर गोबर और पत्थर फेंकती थी,क्योंकि उनको लगता था की लड़कियों को पढ़कर सावित्रीबाई फुले धर्म के विरुद्ध कार्य कर रही हैं। इससे बचने के लिए वह अपने साथ एक जोड़ी कपड़ा लेकर जाती थी और स्कूल पहुंचकर गोबर और कीचड़ से सने कपड़ों को बदल लेती थी।
पुणे स्थानांतरण के बाद की जानकारी….
Savitribai Phule in Hindi:बाद में सावित्रीबाई फुले का परिवार ज्योतिराव के पिता के घर से उस्मान शेख के परिवार के साथ रहने के लिए स्थानांतरित हो गया, जो ज्योतिराव के दोस्तों में से एक था।
वहां सावित्रीबाई फुले की मुलाकात फातिमा बेगम शेख से हुई। वह बाद में करीबी हो गईं और उनके साथ काम किया। शेख की एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ नसरीन सैय्यद का दावा है, “जैसा कि कोई व्यक्ति पहले से ही पढ़ और लिख सकता था, फातिमा शेख को ज्योतिबा के दोस्त, उसके भाई उस्मान द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में दाखिला लेने का आग्रह किया गया था।
Savitribai Phule in Hindi:सावित्रीबाई और फातिमा बेगम शेख एक साथ सामान्य स्कूल में पढ़ते थे, और दोनों ने एक साथ में स्नातक की उपाधि प्राप्त की वह भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षक थीं।
१८४९ में, फातिमा और सावित्रीबाई ने शेख के घर पर एक स्कूल की स्थापना की। सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले ने १८५० के दशक में दो शैक्षिक ट्रस्टों की स्थापना की।
पुणे में नेटिव मेल स्कूल और एसोसिएशन फॉर एडवांसिंग द एजुकेशन ऑफ महार, मांग और अन्य समूह उनके नाम थे।
इन दो ट्रस्टों में अंततः सावित्रीबाई फुले और फिर फातिमा शेख के निर्देशन में कई स्कूल शामिल थे।
सामाजिक कार्यों के प्रति उत्तरदायित्व
Savitribai Phule in Hindi:सावित्रीबाई फुले ने समाज सेवा के दौरान विधवाओं के लिए एक आश्रम खोला और विवाह विधवाओं के अलावा निराश्रित महिलाओं बाल विधवा बच्चियों और परिवार से त्यागी महिलाओं को शरण देने का कार्य किया। इसके साथ में वह आश्रम में रहने वाली हर महिला और लड़कियों को पड़ता भी थी। उसे समय छुआछूत से परेशान लोगों को पानी नहीं मिल पाता था। ऐसे में सावित्रीबाई ने अपने घर का कुआं खोल दिया था।
Savitribai Phule in Hindi:उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की जो बिना पुजारी और दहेज के विवाह आयोजित करते थे ,उनके पति ज्योतिबा फुले जो तब तक महात्मा कहलाने लगे थे। उनकी मृत्यु के बाद उनके संगठन का कार्य सावित्री फुले ने संभाला और साथ में सामाजिक चेतना का भी काम करती रही।
सावित्रीबाई फुले का निधन
पुणे में प्लेग का रोग फैलने के कारण सावित्रीबाई फुले मरीजों की सेवा में लग गई इसी दौरान उन्हें भी प्लेग हो गया और 10 मार्च 1897 को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका पूरा जीवन समाज के वंचित वर्गों खासकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के संघर्ष में ही बीता। उनके पति ज्योति राव फुले का निधन उनसे पहले ही 1890 में हो गया था। पति के निधन के बाद सावित्रीबाई फुले ने ही उनका दाह संस्कार किया था।
प्रधानमंत्री ने की मन की बात में चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मां की बात के 108 में एपिसोड में सावित्रीबाई फुले का जिक्र किया करते हुए कहा। कि सावित्रीबाई फुले का नाम आते ही सबसे पहले और शिक्षा और समाज के सुधार के क्षेत्र में उनके योगदान हमारे सामने आता है। वह हमेशा महिलाओं और वंचितों के अधिकारों की रक्षा और शिक्षा के लिए आवाज उठाती रही वह समय से काफी आगे सोचती थी और गलत प्रथाओं के विरोध में हमेशा मुखर रही।
Savitribai Phule Quotes:सावित्रीबाई फुले के अनमोल विचार
Savitribai Phule in Hindi:अद्भुत प्रतिभा की धनी, साहसी, शिक्षा को लेकर जागरूक और समाज सेवी सावित्रीबाई फुले के जीवन की अद्भुत प्रेरणा,जिनसे हमें अपने जीवन में कुछ बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है।
- शिक्षा स्वर्ग का द्वार खोलती है, खुद को जानने का अवसर देती है।
- कोई तुम्हें कमजोर समझे, इससे पहले तुम्हे शिक्षा के महत्व को समझना होगा।
- स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो, शिक्षा ही इंसानों का सच्चा आभूषण है।
- अज्ञानता को तुम धर दबोचो, मज़बूती से पकड़कर पीटो और उसे अपने जीवन से भगा दो।
- स्त्रियां सिर्फ रसोई और खेत पर काम करने के लिए नहीं बनी है, वह पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती है।
- पत्थर को सिंदूर लगाकर और तेल में डुबोकर जिसे देवता समझा जाता है, वह असल मे पत्थर ही होता है।
- देश में महिला साक्षरता की भारी कमी है क्योंकि यहां की महिलाओं को कभी बंधन मुक्त होने ही नहीं दिया गया।
- तुम गाय,बकरी को सहलाते हो, नाग पंचमी पर नाग को दूध पिलाते हो, लेकिन दलितों को तुम इंसान नहीं, अछूत मानते हो।
- चौका बर्तन से ज्यादा जरूरी है पढ़ाई क्या तुम्हें मेरी बात समझ में आई?
- अपनी बेटी के विवाह से पहले उसे शिक्षित बनाओ, ताकि वह आसानी से अच्छे-बुरे का फर्क कर सके।
- किसी समाज या देश की प्रगति तब तक असंभव हैं, जब तक वहां की महिलाएं शिक्षित ना हों।