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Electoral Bonds 2024 । What Is Electoral Bond Scheme

Electoral Bond

Electoral Bond

Electoral Bond:भारत सरकार ने राजनीति को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए 2018 में इसको अधिसूचित किया था। सरकार की यह पहल नागरिकों को राजनीतिक दलों के आर्थिक समर्थन में निवेश करने का अवसर प्रदान करती है। Electoral Bonds एक वित्तीय उपकरण है। जिसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को आर्थिक समर्थन प्रदान करना है और यह बॉंड सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन होता है।

चुनावी बांड स्कीम क्या है  …….

Electoral Bond Scheme Details:-

Electoral Bonds

Electoral Bonds Scheme को चुनौती क्यों दी गई?

Electoral Bonds के खिलाफ आवाज उठाने वालों में शीर्ष कांग्रेसी नेता जय ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और गो एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स अदर समेत चार लोगों की  याचिकाएं शामिल हैं। याचिका कर्ताओं का कहना है कि चुनावी बांड के जरिए गुपचुप फंडिंग में पारदर्शिता को प्रभावित किया जाता है और यह सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करती है। उनका इस बारे में कहना है कि इसमें सेल कंपनियों की तरफ से भी दान देने की अनुमति दी गई है।

RTI एक्ट का उल्लंघन करती है चुनावी बॉन्ड की योजना

Electoral Bond Image Credit: Prabhat Khabar

Does electoral bonds come under RTI:-सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसला सुनाते हुए कहा कि Electoral Bond Scheme में गोपनीय का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 19(I) के तहत सूचना के अधिकार के कानून का उल्लंघन करता है। इस फैसले की सुनवाई के बाद आम पब्लिक को भी पता होगा, कि किसने किस पार्टी को कितनी फंडिंग की है।

केंद्र सरकार ने क्या प्रतिक्रिया दी

Electoral Bonds:-केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक महत्वपूर्ण तर्क प्रस्तुत किया है, जिसमें उन्होंने योजना के महत्वपूर्ण विवादित पहलू पर ध्यान दिया है। उनका कहना था कि योजना का प्रमुख लक्ष्य ‘गुमनाम’ नहीं करना है, बल्कि उसका फोकस ‘गोपनीयता’ सुनिश्चित करना है।

उन्होंने शीर्ष अदालत के 2019 के फैसले का संदर्भ दिया, जिसमें निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई थी। उनके तर्क के अनुसार दाताओं को निजता का अधिकार होना चाहिए, खासकर जब तक जानकारी वास्तविक सार्वजनिक हित का स्रोत नहीं होती।

Electoral Bond के बारे में सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है

Supreme Court

इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अभी किस पार्टी को कितना चंदा मिल रहा है और वह ऐसी कौन लोग हैं जो पार्टी को Electoral Bonds के जरिए चंदा दे रहे हैं और उसके बदले में वह कोई अपना काम करवा रहे हैं। तो इस हिसाब से यह पारदर्शी नहीं है और यह आपत्तिजनक स्कीम है योजना स्पष्ट और साफ होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह है कहा गया है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों  को दी जाने वाली फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है कि यह Electoral Bonds असंवैधानिक है। क्योंकि इसमें  सूचना के अधिकार के नियम का उल्लंघन है। आम लोगों को यह पता होना चाहिए कि वह  जिन दलों को वोट दे रहे हैं, उन्हें किसी से कितना चंदा मिल रहा है और उनकी फंडिंग की व्यवस्था क्या है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है। कि दानदाताओं की गोपनीयता को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है लेकिन इसमें पूर्ण तौर पर छूट देकर राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता हासिल नहीं की जा सकती।

बाकी दलों का इसके बारे में क्या कहना है

कांग्रेस पार्टी की और से प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट द्वारा ले गए इस फैसले पर राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है, कि हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं और सुप्रीम कोर्ट ने जो रिपोर्ट मांगी है SBI से। तो SBI यह बताएं कि चंदे के तौर पर कितने पैसे का लेनदेन हुआ और दान देने वाले कौन थे।

कांग्रेस नेता हरीश रावत का कहना है कि मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सलाम करता हूं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया गया फैसला पक्ष और विपक्ष दोनों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आम आदमी पार्टी की ओर से की गई प्रतिक्रिया

आतिशी मार्लेना Image Credit-tpnews

आम आदमी पार्टी की मंत्री आतिशी ने कहा कि चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत ही खुशी की बात है। कि केंद्र में या पार्टी जो सरकार में है। वह उसके निर्णय वोटर के लिए है या फिर चंदा देने वाले लोगों के लिए, सुप्रीम कोर्ट SBI Bank से यह भी कहा कि भारतीय चुनाव आयोग को तुरंत बताने को कहा है कि किस पार्टी को कहां से और कितने Electoral Bonds के जरिये चंदा मिला है।

हम आशा करते हैं कि इस पोस्ट से आपको Electoral Bonds के बारे में जानकारी मिल गई होगी, इसे अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करें ताकि उन्हें भी Electoral Bonds के बारे में जानकारी मिल सके।

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